पिता और बेटी के सपने
नेहा अपने घर में सब की लाडली होती है। वह दो बहन भाई होते हैं। नेहा बचपन से ही पापा की ज्यादा लाडली थी। उसका भाई भी कहता पापा आप नेहा को ही ज्यादा प्यार करते हो। मुझे तो आप प्यार ही नहीं करते हो। आप नेहा को ही अपने हाथों से खाना खिलाते हो। मुझे नहीं। नेहा की मां भी बोली, "आपने नेहा को ज्यादा ही सिर पर चढ़ा रखा है। जब नेहा शादी करके जाएगी तो आपको और नेहा को बहुत परेशानी हो जाएगी।" नेहा के पापा नेहा की हर खुशी का ध्यान रखते हैं। नेहा और उसके पापा ज्यादा दिन तक एक-दूसरे से दूर नहीं रहते थे। बाप-बेटी का रिश्ता शायद ऐसा ही होता है। अपनी बेटी को राजकुमारी की तरह रखना चाहता है। नेहा भी अपने पापा की हर बात मानती थी। कुछ साल बाद नेहा बड़ी हो गई और नेहा ने अपने सपनों और जिम्मेदारियों की दुनिया में कदम रखा। एक दिन नेहा के कॉलेज में कोई समस्या हो गई और परेशान हो गई। नेहा के पापा ने नेहा की परेशानी को समझ जाते हैं और नेहा को समझते हैं, "बेटा, परेशानी बड़ी हो या छोटी, उससे कभी भागना नहीं चाहिए। पूरे साहस के साथ उसका सामना करना चाहिए जब तक की समस्या खत्म ना हो जाए।" पापा की बात सुनकर नेहा का मनोबल बढ़ा और कुछ समय बाद नेहा ने उसे समस्या का हल ढूंढ लिया। नेहा अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी ताकि वह आर्थिक रूप से किसी पर निर्भर ना हो। जब नेहा के भाई की नौकरी लगी तो उसे अपने भाई से प्रेरणा मिली। नेहा बहुत मेहनत कर रही थी। एक दिन नेहा के पापा को दिल का दौरा आ जाता है। उन्हें अस्पताल में भर्ती कर दिया जाता है। जब इस बात का पता चलता है तो वह कॉलेज में होती है। उसे और नेहा के कॉलेज से अस्पताल का रास्ता बहुत लंबा होता है जो कॉलेज से 10 मिनट दूर है। नेहा को ऐसा लगा जैसे उसके पैरों के नीचे जमीन नहीं है। वह कैसे चले? उसे समय उसके मन में हजारों विचार हलचल मचा रहे थे। ना जाने पापा कैसे हैं, वह ठीक हैं या नहीं? पापा बात तो कर रहे हैं ना? जब नेहा अस्पताल में अपने भाई को परेशान और मां को रोते हुए देखती है, तो उसके पैर वहीं पर रुक जाते हैं। उसमें जैसे आगे बढ़ाने की हिम्मत ही ना हो। एक क्षण के लिए तो बेजान सी हो जाती है। तभी उसका भाई नेहा को आवाज देता है और उसके पास जाता है। पापा अब ठीक है कोई घबराने की बात नहीं है। नेहा की जान में जान आ जाती है। यह सुनते ही कुछ समय बाद उसके पापा हॉस्पिटल से घर आ जाते हैं। पापा
सोचते हैं
कि जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है, मुझे नेहा की शादी कर देनी चाहिए। पापा नेहा को कहते हैं, "बेटा, मैं तुम्हारी शादी करना चाहता हूं। तुम शादी के लिए तैयार हो ना। जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है। मैं जीते जी तुम्हारी शादी करना चाहता हूं।" नेहा रोते हुए कहती है, "पापा, ऐसा मत बोलो। आपके कुछ नहीं होगा। आप बिल्कुल ठीक हो जाओगे।" बेटा, अगर तुम्हें कोई पसंद है तो बता दो।" नेहा नहीं पापा, आपके जैसे ठीक लगे वैसा करो।" नेहा पापा को शादी के लिए मना नहीं कर पाई। वह नहीं बोल पाई कि पापा, मुझे पहले अपने पैरों पर खड़ा होना है। वह अपने पापा से बहुत प्यार करती थी, इसलिए उनको मना नहीं कर पाई। नेहा के पापा नेहा के लिए जल्द ही एक अच्छे परिवार का सुयोग्य लड़का ढूंढ लेते हैं और जल्द ही उनकी सगाई की तैयारी शुरू हो जाती है। जब नेहा के भाई को उसकी सगाई का पता लगता है, तो वह अपने पापा से कहता है, "पापा, आपने अभी तो लड़का देखा था। इतनी जल्दी सगाई क्या? जरूरत थी?" और नेहा भीहां
कर दी उसने सगाई के लिए मना नहीं किया। पापा ने कहा, "मैं नेहा से पूछ कर ही फैसला लिया है।" पर वह कुछ बनना चाहती थी। वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी। "पापा, आप तो नेहा के का बिना ही उसके मन की बात जान लेते हैं, तो आप नेहा के सपने के बारे में कैसेनहीं जान पाए?" नेहा भाई से पापा जो कर रहे हैं, वह ठीक कर रहे हैं। "मुझे कोई परेशानी नहीं है।" नेहा के पापा, "बेटा, जब तुम अपना कैरियर बना ना चाहती हो, तो तुमने मुझे क्यों नहीं बताया? तुमने सगाई के लिए मना क्यों नहीं किया?" "नेहा, मैं आपकी बात को मना नहीं करना चाहती थी।" पापा, "बेटा, मैं तो तुम्हें खुश देखना चाहता हूं। यह तो अच्छी बात है, तुम कामयाब होना चाहती हो। बेटा, तुमने कैसे सोच लिया कि मैं तुम्हारी मर्जी के खिलाफ तुम्हारी सगाई कर तुम बेटा, तुम्हारा हर एक सपना मेरा सपना है। तुम्हारे सपने पूरे होंगे तो बेटा, मेरा सपना पूरा होगा। तुम्हारी कामयाबी मेरी कामयाबी है। बेटा, अब तुम्हारी सगाई नहीं होगी। पहले तुम अपने सपने को पूरा करो।" नेहा की मम्मी, "लेकिन अब तो सगाई की तारीख तय हो गई है, रिश्तेदारों को नौता दे दिया अब कैसे होगा?" "की तो पैसे खर्च हो गए हैं, मना करने पर बदनामी होगी।" वह अलगने हें। नेहा के पापा अब चाहे कुछ हो जाए, यह सगाई नहीं होगी। नेहा से ज्यादा जरूरी मेरे लिए कुछ नहीं है।" नेहा, "पापा, आप अभिषेक जो कि नेहा का मंगेतर है, और उसके परिवार से बात कीजिए, शायद वह सगाई के बाद हमें समय दे सके, और मैं कामयाब हो जाऊं।" पापा को सुझाव अच्छा लगा और उन्होंने अभिषेक और उसके परिवार वालों से बात की। अभिषेक ने कहा, "यह तो अच्छी बात है, उसके परिवार वाले महान गए, उन्होंने कहा, 'जब तक नेहा नहीं कहेगी, हम शादी के लिए नहीं कहेंगे।'" नेहा और अभिषेक की सगाई बड़ी धूमधाम से हो जाती है। 2 साल बाद नेहा आई ए एस बन जाती है। नेहा के पापा तो यह सुनकर खुशी से पहले नहीं समा पाते हैं, मानो वह समय इस बने हो। नेहा का सपना ही पापा का सपना होता है, और उन दोनों का सपना पूरा हो जाता है। अभिषेक भी नेहा और पापा को बधाई देता है, और कुछ समय बाद नेहा और अभिषेक की शादी बड़ी धूमधाम से हो जाती है।