रूपा असफलता से सफलता की ओर एक प्रेरणादायक कहानी
रूपा एक 24 वर्षीय सुंदर और सुशील लड़की है। वह अभी कॉलेज में पढ़ रही थी। वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत करती है। उसकी पढ़ाई अभी चल रही होती है तो उसके पिता के पास रूपा केलिए रिश्ता आता है। लड़का सुंदर और नौकरी लगा हुआ होता है। परिवार भी अच्छा होता है। कह सकते हैं लड़का काबिल और संपन्न परिवार का है। रूपा के पापा को रिश्ता अच्छा लगता है। पापा रूपा की रजा मंडी से रिश्ता पक्का कर देते हैं। रूपा की मां कहती है अभी रूपा
को तो नौकरी करनी है
आप अभी से उसका रिश्ता मत करो। रूपा के पापा लेकिन कहीं इतना अच्छा रिश्ता हाथ से ना निकल जाए। नौकरी तो वह शादी के बाद भी कर सकती है और लड़के वाले नौकरीकरवाने के लिए तैयार हैं। रूपा की शादी की डेट पक्की कर दी जाती है। कुछ समय के बाद रूपा की शादी कर दी जाती है। शादीके समय
उसकी पढ़ाई पर भी असर पड़ता है। जब वह अपने पापा के पास आई तो उसने कहा कि पढ़ाई अच्छे से नहीं हो रही है मुझे अच्छे नंबर के लिए ज्यादा मेहनत करनी होगी। रूपा के पापा रूपा को कुछ दिन के लिए अपने पास रोक लेते हैं ताकि वह ठीक से पढ़ाई कर सके। रूपा अच्छे से मेहनत के साथ अपनी पढ़ाई करती है और अच्छे नंबरों से पास हो जाती है। वह अपने सपनों की तरफ पहला कदम बढ़ा लेती है। जब रूपा के पापा उसे अपने पास और अधिक नहीं रख सकते थे तो वे रूपा को वह उसके ससुराल भेज देते हैं। रूपा अपने ससुराल के कामों में लग जाती है। ससुराल में वह नई-नई होती है तो उसे हर काम ध्यान से करना पड़ता है। उसे लगता है कहीं उसे कोई गलती ना हो जाए। वह परिवार का बहुत अच्छे से ध्यान रखती है। ससुराल के कामों में वह इतना व्यस्त हो जाती है कि धीरे-धीरे अपने सपनों से दूर होती जाती है। ऐसे करते-करते बहुत समय बीत जाता है। एक दिन रूपा अपने कमरे में आराम कर रही होती है तो वह सोचती है कि मैं तोनौकरी करना चाहती थी, मेरा सपना था मैं कामयाब होकर अपने पापा का नाम रोशन करूं, लेकिन अब शादी के बाद वह एक ग्रहणी बन कर रह जाती है। रूपा ही मन ही मन सोचती है कि मैं क्या चाहती थी और क्या कर रही है। रूपा रात को अपने पति से बात करती है कि मुझे आगे पढ़ाई करनी है और मैं नौकरी करना चाहती हूं। उसका पति रूपा के सपनों को पूरा करने में उसका पूरा साथ देता है और उसके लिए किताबें और जरूरी सामान ले आता है। रूपा अपनी पढ़ाई में लग जाती है। दिन में रूपा जब पढ़ने बैठी है तो तुरंत उसकी सास कोई ना कोई काम बता देती है जिस कारण उसे पढ़ाई करने में परेशानी होती है। एक दिन रूपा के पापा का फोन आता है। पापा पूछते हैं रूपा पढ़ाई कैसी चल रही है। रूपा कहती
है पापा यहां पर पढ़ाई करने में बहुत परेशानी होती है। पापा मैं क्या करूं मैं सफलता कैसे पाऊं। पापा कहते हैं बेटा सफलता तो गुलाब की तरह है जिसमें कांटे होते हैं लेकिन फिर भी महक कम नहीं होती है। बेटा सफल होने की राह में रुकावट तो बहुत आती है। हमें उन रूकावटों को पार करके सफलता पानी होती है। रूपा के मन में पापा की बात छप जाती है और उसका महत्व भी समझ आ जाता है। रूपा खूब मेहनत करती है और अपनी जिम्मेदारियां भी पूरी तरह से निभाती है। और एक दिन वह कामयाब हो जाती है। उसे कॉलेज में नौकरी मिल जाती है।
हम मेहनत और संघर्ष से अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। हमें तब तक हार नहीं माननी चाहिए जब तक लक्ष्य को ना पाले।