Bridging the Gap: A Tale of Tradition and Technology
एक बड़े शहर में एक परिवार रहती है। उसे परिवार में दादा, दादी, मां, बाप, और उनके दो बच्चे हैं। बच्चों ने कभी अपने दादा-दादी जी के गांव का मेला और त्यौहार नहीं देखा था। वे गांव में जाना पसंद नहीं करते थे। बच्चे शहर में रहते आ रहे थे।इस परिवार में एक साथ तीन पीढि़यों रह रही थीं। और तीनों पीढि़यों के सोच-विचार में भी बहुत फर्क था। बच्चे आधुनिक जीवन शैली को अच्छा मानते थे। वे नई उपकरण और नई टेक्नोलॉजी को समझने में सक्षम होते थे। जब कि दादा-दादी और उनके मां-बाप को वह चीज समझने में परेशानी होती थी। इंटरनेट के समय में जिनको यह टेक्नोलॉजी नहीं आती है, उनके लिए जेनरेशन गैप और अधिकदिखता है।
दादा-दादी और मां-बाप भी कह देते हैं कि "तुम सारा वक्त इंटरनेट पर बिताते हो, तुम्हें कोई मतलब नहीं है, घर में कोई और भी है, उनसे बातें करें। हमारे समय में सब साथ बैठकर बातें करते थे, अपनी राय-विचार एक दूसरे से साझा करते थे।"
और आज की पीढ़ी तो बस इंटरनेट पर लगी रहती है। टेक्नोलॉजी के फायदे तो मां-बाप को भी पता है, लेकिन मैं समझने में प्रॉब्लम होती है, इसलिए वह इस सब को महत्व नहीं देते।
एक दिन बच्चों को कहीं घूमने जाना था, वे घर पर नहीं थे। दादा को डॉक्टर को दिखाने जाना था, लेकिन डॉक्टर घर नहीं थे। तो डॉक्टर ने दादा जी की रिपोर्ट का पीडीएफ मांगा, जिसे वह देने में असक्षम थे।
जब बच्चे घर पर आए, तो पिता ने सारी बात बच्चों को बताई, "तुम्हारे दादा जी की रिपोर्ट डॉक्टर को नहीं भेज पाए, मुझे पीडीएफ बनाना नहीं आता था।"
तब बच्चे अपने मां-बाप और दादा-दादी जी को समझाते , "यह इंटरनेट का समय है। इसमें काम जल्दी तो हो जाता है, और अपने जरूरी रिपोर्ट्स और डॉक्यूमेंट्स इंटरनेट से कहीं भेज सकते।"
आज के समय में टेक्नोलॉजी आनी चाहिए
तब दादा-दादी और मां-बाप बच्चों को टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना सिखाते हैं। कुछ समय तो उन्हें सीखने में परेशानी आई, लेकिन बच्चों ने बड़े प्यार से और धैर्य से उन्हें इंटरनेट और बहुत सी चीजों का इस्तेमाल करना सिखाया।
अब तीनों पीढि़यों ने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना आ गया, जिस कारण वह एक दूसरे के विचार को भी समझने का एक अलग ही अनुभव हुआ। जिस कारण उनका जो जेनरेशन गैप आ गया था, वह थोड़ा कम हुआ।
एक दिन दादा-दादी जी के पास गांव से फोन आता है। गांव वाले दादा-दादी जी को सम्मानित करना चाहते हैं, और पूरे परिवार को निमंत्रण देते हैं। गांव आने का दादा जी कहते, "बच्चों, हमने तुम्हारा इंटरनेट वाली दुनिया जीना सीखा है, और मैं तुम्हें हमारी दुनिया दिखाता हूँ। मेरे साथ गांव चलोगे?" बच्चे गांव जाने के लिए तैयार हो जाते हैं।
कि दादाजी ने इस उम्र में इतना बदलाव किया है, तो हमें भी दादाजी के साथ जाना चाहिए। पूरा परिवार गांव चला जाता है। गांव में दादाजी को सम्मानित करने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है, जिसे देखकर बच्चों को बहुत अच्छा लगता है।
गांव में परिवार बहुत बड़ा होता है, जिसमें बच्चे, मां-बाप, ताऊ-ताई, दादा-दादी होते हैं। सबका खाना एक जगह सभी औरतें मिलकर खाना पकाती हैं। वह अन्य काम करती है, आपस में बातें करती रहती हैं। बच्चे कहते हैं, " मां, यहां तो किटी पार्टी जैसा माहौल बना हुआ है।" सब एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। पहले बच्चे और बुजुर्ग खाना खाते हैं, फिर आदमी खाना खाते हैं, और फिर घर की औरत खाना खाती है। और फिर सभी थोड़ी देर बैठकर बातें करते हैं, जिसे देखकर बच्चों को बहुत अच्छा लगता है।
बच्चे भी पारंपरिक जीवन शैली देखकर बहुत अच्छा लगता है। बच्चों के मन में भी अपने दादा-दादी और मां-बाप के समय के जीवन जीने का तरीका, एक दूसरे को सम्मान देना, अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम देखकर बच्चों के मन में भी अपनी सांस्कृतिक के प्रति आदर और महत्व बढ़ गया। इसलिए हर जेनरेशन को कोई दूसरे के जीने के तरीके को समझना चाहिए, ताकि जेनरेशन gap should less
हो सके, और एक दूसरे को समझना आसान हो जाए, जिसे कभी मतभेद ना हो। हर पीढ़ी खुलकर जिए और खुश रहे।